अल्लामा ज़ीशान हैदर जव्वादी मरहूम के बेटे मौलाना एहसान हैदर का आज मुंबई में हार्ट अटैक से इंतेक़ाल हो गया। यह खबर सुनते ही अफ़सोस के साथ साथ आज से तक़रीबन १० साल पहले का वाक़ेया ज़हन में घूमने लगा |
मीरा रोड मुंबई में एक नेक और आलिम बा अमल मौलाना हसन अब्बास खान साहब हुआ करते थे जो अकबरपुर के रहने वाले थे | उन्हें आज से तक़रीबन दस साल पहले रात में हार्ट अटैक हुआ और मलाड में जा के किसी नर्सिंग होम में भर्ती किये गए | रात भर दवाएं चलीं लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका और सुबह ७-८ बजे उनका इंतेक़ाल हो गया |
हम सभी इस खबर को सुन के मलाड मौलाना एहसान जवादी और दीगर उलेमा के साथ पहुंचे | वहाँ पे माहौल यह था की हॉस्पिटल का बिल आया ढाई लाख जो की मौलाना हसन अब्बास खान साहब के घर वाले नहीं दे पा रहे थे | उस ढाई लाख में कुछ लोगों के कमीशन थे जिनको कोशिश के साथ काम करवाया गया लेकिन फिर भी डेढ़ लाख देना था | कुछ इदारों से बात की गयी लेकिन यह मुमकिन न हो सका की मरहूम के लिए कुछ फण्ड का इंतज़ाम इतनी जल्द किया जा सके |
उसी वक़्त मरहूम मौलाना एहसान जवादी ने 40000 रूपए दिए और कोशिश की आपस में साथियों से की मदद करें और आधे घंटे में मौलाना हसन अब्बास साहब की मैय्यत बहार आयी और उनकी तद्फीन के इन्तेज़ामात हुए |
मरहूम मौलाना एहसान जवादी की यह मदद मेरे ज़हन में हमेशा रही और जब आज उनके इंतेक़ाल की खबर हार्ट अटैक से हुयी सुना तो उनकी बहुत याद आयी |
अल्लाह मरहूम अहसान जवादी साहब को जन्नत आता करे और उनके के अहल ऐ खाना को सब्र ऐ जमील आता करे |
.एस एम् मासूम
मीरा रोड मुंबई में एक नेक और आलिम बा अमल मौलाना हसन अब्बास खान साहब हुआ करते थे जो अकबरपुर के रहने वाले थे | उन्हें आज से तक़रीबन दस साल पहले रात में हार्ट अटैक हुआ और मलाड में जा के किसी नर्सिंग होम में भर्ती किये गए | रात भर दवाएं चलीं लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका और सुबह ७-८ बजे उनका इंतेक़ाल हो गया |
हम सभी इस खबर को सुन के मलाड मौलाना एहसान जवादी और दीगर उलेमा के साथ पहुंचे | वहाँ पे माहौल यह था की हॉस्पिटल का बिल आया ढाई लाख जो की मौलाना हसन अब्बास खान साहब के घर वाले नहीं दे पा रहे थे | उस ढाई लाख में कुछ लोगों के कमीशन थे जिनको कोशिश के साथ काम करवाया गया लेकिन फिर भी डेढ़ लाख देना था | कुछ इदारों से बात की गयी लेकिन यह मुमकिन न हो सका की मरहूम के लिए कुछ फण्ड का इंतज़ाम इतनी जल्द किया जा सके |
उसी वक़्त मरहूम मौलाना एहसान जवादी ने 40000 रूपए दिए और कोशिश की आपस में साथियों से की मदद करें और आधे घंटे में मौलाना हसन अब्बास साहब की मैय्यत बहार आयी और उनकी तद्फीन के इन्तेज़ामात हुए |
मरहूम मौलाना एहसान जवादी की यह मदद मेरे ज़हन में हमेशा रही और जब आज उनके इंतेक़ाल की खबर हार्ट अटैक से हुयी सुना तो उनकी बहुत याद आयी |
अल्लाह मरहूम अहसान जवादी साहब को जन्नत आता करे और उनके के अहल ऐ खाना को सब्र ऐ जमील आता करे |
.एस एम् मासूम
from Azadari Jaunpur https://ift.tt/2H1yBXS
Post a Comment