आज इतवार ३१ मार्च को कजगाओ के हुसैनिया में मरहूम सईद मुफ़ज़फ्फर अली की छमाही की मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना काज़ी सय्यद मौलाना बाक़िर मेहदी साहब ने बताया की आप चाहे अज़ान दें या मजलिसें , नौहा मातम करें लेकिन इस बात का ख्याल रखें की आपके लाउडस्पीकर की आवाज़ इतनी तेज़ ना रहे की किसी को तकलीफ हो या किसी बीमार की तबियत खराब हो क्यों की इस्लाम किसी को तकलीफ पहुंचाने का मज़हब नहीं है |
इसी के साथ साथ मौलाना ने इस बात पे ज़ोर दिया की मजलिसों ,महफ़िल या शब्बेदारी का जब पोस्टर या बैनर बने तो उसमे सिर्फ मक़सद बयान हो ,जगह का ज़िक्र हो और अंजुमन या शख्स या इदारे का नाम हो | इन पोस्टरों पे डोनेशन चंदा देने वालों का नाम डालना रियाकारी में शुमार होता है और हमने जो भी ताऊन किया वो ख़ुशनूदिये खुदा के लिए किया और उसने देख लिया और हमारे अमाल नाम में लिख भी लिया अब दुनिया वालों को ज़ाहिर कर के उसे जाया न करें |
क़दीमी काजगाऊँ हुसैनिया में जौनपुर जाफराबाद और काजगाऊँ के मोमिनीन ने बड़ी तादात में शिरकत की जिसमे जनाब इमदाद साहब , जावेद साहब , सादिक़ साहब, मुहम्मद अहमद , एस एम मासूम और कसीर तादात में नौजवानों की शिरकत रही |
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